5 Essential Elements For Shodashi

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दिव्यौघैर्मनुजौघ-सिद्ध-निवहैः सारूप्य-मुक्तिं गतैः ।

षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥

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यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥२॥

सर्वसम्पत्करीं वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥३॥

About the 16 petals lotus, Sodhashi, who's the shape of mom is sitting down with folded legs (Padmasana) eliminates all of the sins. And fulfils the many needs along with her sixteen types of arts.

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

नाना-मन्त्र-रहस्य-विद्भिरखिलैरन्वासितं योगिभिः

यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली click here सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।

संक्रान्ति — प्रति मास जब सूर्य एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति में परिवर्तित होता है, वह मुहूर्त श्रेष्ठ है।

कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया

Shodashi also usually means sixteen and the perception is always that with the age of sixteen the Bodily physique of the human being attains perfection. Deterioration sets in after sixteen decades.

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